आखिर जीत हमारी उपन्यास समीक्षा

 -:आखिर जीत हमारी:-


रामजी दास पुरी (सय्याह सुनामी) द्वारा लिखित यह एक ऐतिहासिक उपन्यास है जो अपने अपने शीर्षक की उपयुक्त व्याख्या करता है।

इस उपन्यास में एक तरफ जहां बर्बर हूणों द्वारा भारतीयों पर किए गए जघन्य अत्याचारों को दर्शाया गया है कि किस प्रकार वह बर्बर जाति मानव समाज को पशुओं से भी गिरा हुआ मानती थी समूह के समूह को उजाड़ देना,महिलाओं का,बौद्ध भिक्षुणियों का शील भंग करना मात्र ही नहीं अपितु जन समूह की हत्या कर गांव के गांव जला देना तथा उनकी लाशों पर जश्न मनाना,उनकी हड्डियों को सेकना,मांस को खाना तथा उनकी खोपड़ियों में मदिरा पान करना ऐसे दृश्य हृदय को झकझोर, नसों में रक्त के प्रवाह को बड़ा तथा आंखों में आंसू और प्रतिशोध भर देते हैं वहीं


वहीं दूसरी तरफ महाबहु और उसके साथी अपने साथ मिलकर मगध,मालवा,चालुक्य आदि शासकों को संगठित कर हूणों को भारत से भगाने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देश और धर्म के प्रति अपने सच्चे समर्पण का प्रमाण देते हैं और हूणों को धूल चटा देते हैं जो हृदय में एक उत्साह का संचार करते हैं


इस उपन्यास में लेखक बताना चाह रहा है कि कोई भी जाति समाज कितने ही महान क्यों न हो लेकिन शास्त्रों की रक्षा तब ही की जा सकेगी जब हमारे पास शस्त्रधारी होंगे।



अहिंसा सदा कायरों का हथियार होती है पुस्तक में एक घटना आती है जब बौद्ध भिक्षु समाज में शांति और अहिंसा की बात करते हैं और समाज से आग्रह करते हैं कि हूणों के प्रति करुणा का भाव रखें लेकिन जब वे ही हूण उस गांव में प्रवेश करते हैं तो सबसे पहले उन्हीं भिक्षुओं को मार देते हैं तब लेखक लिखता है कि न्याय के ऊंचे सिद्धांत और आत्म रक्षा के जन्म सिद्ध अधिकार के आगे अहिंसा अथवा दया की न कभी मनुष्य ने परवाह की है न ही प्रकृति ने,इस समय जबकि अपने घर में आग लग रही है ज्ञान,ध्यान,पूजा,पाठ सब व्यर्थ हैं


इस पुस्तक में अनेक स्थानों पर बताया गया है कि कैसे शत्रु से भी स्नेह रखने की प्रवृत्ति और सबको क्षमा करने की प्रवृत्ति ने सदा छल ही किया है, हूणों की पराजय के बाद मगध राज हूणों को छोड़ देते हैं और उन्हें वापिस जाने को कहते हैं उसके पश्चात भी हूण राजा मिहिरकुल कश्मीर के राजा के पास शरण लेकर उसी से छल करता है और कश्मीर पर अधिकार कर लेता है

परंतु अंत में भारत के वीर योद्धा मिहिरकुल समेत सम्पूर्ण हूण जाति का समूल नाश कर देते हैं और उद्घोष करते हैं


आखिर जीत हमारी




सुंदर पुस्तक है पढ़ने योग्य सुझाव व प्रश्न आमंत्रित

सदैव कुमार

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