दिव्य ध्येय की ओर तपस्वी
दिव्य ध्येय की ओर तपस्वी जीवन भर अविचल चलता है
जीवन भर अविचल चलता है।।ध्रु.।।
सज धज कर आए आकर्षण,पग पग पर झूमते प्रलोभन
होकर सबसे विमुख बटोही,पथ पर सम्भल सम्भल बढ़ता है।।1।।
अमरतत्व की अमिट साधना,प्राणों में उत्सर्ग कामना
जीवन का शाश्वत व्रत लेकर,साधक हंस कण कण गलता है।।2।।
पतझड़ के झंझावातों में, जग के घातों प्रतिघातों में
सुरभि लुटाता सुमन सिंहरता,निर्जनता में भी खिलता है।।3।।
सफल विफल और आस निराशा, इसकी और कहां जिज्ञासा
बीहड़ में भी राह बनाता, राही मचल मचल चलता है।।4।।
Boht hi pyara song.
ReplyDeletell Bharat mata ki Jai ll
सादर प्रणाम....
ReplyDeleteJai ho
ReplyDeleteJabardast
ReplyDeleteBharat mata ki jay
ReplyDeleteधन्य है ऐसी महान आत्मा पूजनीय कल्याण सिंह बाबूजी जिन्होंने प्रचारक के जीवन को समझ कर उस भाव को आपने गीत का रूप दिया
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