वसुदेव उपन्यास(नरेंद्र कोहली) समीक्षा

 वसुदेव:-


ये कहानी है वसुदेव की ये कहानी है देवकी की ये कहानी है वसुदेव और देवकी के संघर्ष,इच्छा शक्ति,राष्ट्र के प्रति अनन्य समर्पण तथा अपना सब कुछ गंवाकर राष्ट्र सर्वप्रथम की।

नरेंद्र कोहली द्वारा लिखित यह उपन्यास एक अनूठा स्वरूप लिए हुए हैं जहां अभी तक अधिकतर बातें कहानियां श्री कृष्ण की मिलती हैं वहीं इस उपन्यास के मुख्य नायक कृष्ण न होकर उनके पिता वसुदेव हैं।

पुस्तक की कहानी वही है जो हम सब जानते हैं लेकिन पुस्तक पाठकों को एक नया दृष्टिकोण देना चाहती है

जब वसुदेव देवकी के प्रथम पुत्र की कंस हत्या कर देता है तब वसुदेव दुखी मन से अपने गुरु गंगराज से मिलने जाते हैं तो गुरु उनसे पूछते हैं कि क्या जिस समय तुम्हारे पुत्र की हत्या की गई तब वहां और लोग नहीं थे, तो वसुदेव उत्तर देते हैं कि वहां कई सभासद,उच्च वर्ग के लोग,सेनापति और योद्धा थे।
गुरुजी आगे पूछते हैं कि क्या उन लोगों ने कंस का विरोध नहीं किया तो वसुदेव ने कहा कि वे सभी मौन थे
तब गुरु कहते हैं कि कंस को मारने से अधिक आवश्यक है कंस प्रवृत्ति को मारना
अन्याय के सामने चुप रहना ,कुछ लोभ और धन के लिए राष्ट्र को लुटते देखना,अपने स्वार्थ के लिए राष्ट्र विरोधी और समाज कंटकों का साथ देना आदि संकीर्ण मानसिकता ही कंस प्रवृत्ति है,आवश्यकता है इसके विनाश की

इसी प्रकार जब अपने पुत्रों की निरंतर हत्या और कंस के अत्याचारों से पीड़ित होकर वसुदेव बहुत परेशान हो जाते हैं और आत्महत्या तक का विचार करने लगते हैं तो उनके गुरु उन्हें समझाते हैं कि राष्ट्र रक्षक तुम्हारी संतान के रूप ही जन्म लेगा तुम पीछे नहीं हट सकते अगर देश तुमसे यही बलिदान चाहता है कि तुम्हारे कष्टों पर ही देश का भाग्योदय हो तो तुम्हे कष्ट सहने होंगे,राष्ट्र हेतु स्व का त्याग करना ही होगा

एक और बात जो मुझे रोचक लगी वह है कि पुस्तक में लेखक बताना चाह रहा है कि अंतिम सत्य मृत्यु नहीं अंतिम सत्य तो जीवन ही है।
कोई मृत्यु किसी अन्य जीवन को जन्म देती है जिस प्रकार एक विशाल वृक्ष जब अपनी आयु पूरा कर जमीन पर गिर जाता है तो आस पास के कीड़े मकोड़े उससे भोजन प्राप्त करते हैं पक्षी वहां घौंसला बनाने लगते हैं धीरे धीरे नई कोंपले उसपर फूटने लगती है अतः अंतिम सत्य मृत्यु नहीं जीवन ही है।(वसुदेव देवकी संवाद)

ऐसी अनेक विशेषताएं लिए हुए यह पुस्तक है जिसमें कुल 62 अध्याय और लगभग 550 पृष्ठ हैं,बड़ी रोचक पुस्तक है सबको पढ़नी चाहिए.............सुझाव और प्रश्न आमंत्रित हैं।


सदैव कुमार

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