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Showing posts from October, 2022

आखिर जीत हमारी उपन्यास समीक्षा

 -:आखिर जीत हमारी:- रामजी दास पुरी (सय्याह सुनामी) द्वारा लिखित यह एक ऐतिहासिक उपन्यास है जो अपने अपने शीर्षक की उपयुक्त व्याख्या करता है। इस उपन्यास में एक तरफ जहां बर्बर हूणों द्वारा भारतीयों पर किए गए जघन्य अत्याचारों को दर्शाया गया है कि किस प्रकार वह बर्बर जाति मानव समाज को पशुओं से भी गिरा हुआ मानती थी समूह के समूह को उजाड़ देना,महिलाओं का,बौद्ध भिक्षुणियों का शील भंग करना मात्र ही नहीं अपितु जन समूह की हत्या कर गांव के गांव जला देना तथा उनकी लाशों पर जश्न मनाना,उनकी हड्डियों को सेकना,मांस को खाना तथा उनकी खोपड़ियों में मदिरा पान करना ऐसे दृश्य हृदय को झकझोर, नसों में रक्त के प्रवाह को बड़ा तथा आंखों में आंसू और प्रतिशोध भर देते हैं वहीं वहीं दूसरी तरफ महाबहु और उसके साथी अपने साथ मिलकर मगध,मालवा,चालुक्य आदि शासकों को संगठित कर हूणों को भारत से भगाने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देश और धर्म के प्रति अपने सच्चे समर्पण का प्रमाण देते हैं और हूणों को धूल चटा देते हैं जो हृदय में एक उत्साह का संचार करते हैं इस उपन्यास में लेखक बताना चाह रहा है कि कोई भी जाति समाज कितने ही महान...

वसुदेव उपन्यास(नरेंद्र कोहली) समीक्षा

 वसुदेव:- ये कहानी है वसुदेव की ये कहानी है देवकी की ये कहानी है वसुदेव और देवकी के संघर्ष,इच्छा शक्ति,राष्ट्र के प्रति अनन्य समर्पण तथा अपना सब कुछ गंवाकर राष्ट्र सर्वप्रथम की। नरेंद्र कोहली द्वारा लिखित यह उपन्यास एक अनूठा स्वरूप लिए हुए हैं जहां अभी तक अधिकतर बातें कहानियां श्री कृष्ण की मिलती हैं वहीं इस उपन्यास के मुख्य नायक कृष्ण न होकर उनके पिता वसुदेव हैं। पुस्तक की कहानी वही है जो हम सब जानते हैं लेकिन पुस्तक पाठकों को एक नया दृष्टिकोण देना चाहती है जब वसुदेव देवकी के प्रथम पुत्र की कंस हत्या कर देता है तब वसुदेव दुखी मन से अपने गुरु गंगराज से मिलने जाते हैं तो गुरु उनसे पूछते हैं कि क्या जिस समय तुम्हारे पुत्र की हत्या की गई तब वहां और लोग नहीं थे, तो वसुदेव उत्तर देते हैं कि वहां कई सभासद,उच्च वर्ग के लोग,सेनापति और योद्धा थे। गुरुजी आगे पूछते हैं कि क्या उन लोगों ने कंस का विरोध नहीं किया तो वसुदेव ने कहा कि वे सभी मौन थे तब गुरु कहते हैं कि कंस को मारने से अधिक आवश्यक है कंस प्रवृत्ति को मारना अन्याय के सामने चुप रहना ,कुछ लोभ और धन के लिए राष्ट्र को लुटते देखना,अपने स...