स्वयं अब जागकर हमको,जगाना देश है अपना जगाना देश है अपना, जगाना देश है अपना ॥ध्रु.॥ हमारे देश की मिट्टी हमें प्राणों से प्यारी है यहीं के अन्न जल वायु परम श्रद्धा हमारी है स्वभाषा है हमें प्यारी ओ प्यारा देश है अपना ॥1॥ जगाना देश है अपना जगाना देश है अपना समय है अब नहीं कोई गहन निद्रा में सोने का समय है एक होने का न मतभेदों में खोने का बढ़े बल राष्ट्र का जिससे वो करना मेल है अपना ॥2॥ जगाना देश है अपना जगाना देश है अपना जतन हो संगठित हिंदू सक्रिय भाव भरने का जगाने राष्ट्र की भक्ति उत्तम कार्य करने का समुन्नत राष्ट्र हो भारत यही उद्देश्य है अपना ॥3॥ जगाना देश है अपना जगाना देश है अपना
हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे संगठन का भाव भरते जा रहे ॥ध्रु.॥ यह सनातन राष्ट्र मंदिर है यहां वेद की पावन ऋचाएं गूंजती प्रकृति का वरदान पाकर शक्तियां देव निर्मित इस धरा को पूजती हम स्वयं देवत्व गढ़ते जा रहे ॥1॥ हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे राष्ट्र की जो चेतना सोई पड़ी हम उसे फिर से जगाने आ गए परम पौरुष की पताका हाथ ले क्रांति के नवगीत गाने आ गए विघ्न बाधा शैल चढ़ते जा रहे ॥2॥ हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे हम करें युवाओं का आह्वान फिर शक्ति का नव ज्वार पैदा हो सके राष्ट्र रक्षा का महा अभियान ले संगठन भी तीव्रगामी हो सके लक्ष्य का संधान करते जा रहे ॥3॥ हम विजय की ओर बढ़ते जा रहे
दिव्य ध्येय की ओर तपस्वी जीवन भर अविचल चलता है जीवन भर अविचल चलता है।।ध्रु.।। सज धज कर आए आकर्षण,पग पग पर झूमते प्रलोभन होकर सबसे विमुख बटोही,पथ पर सम्भल सम्भल बढ़ता है।।1।। अमरतत्व की अमिट साधना,प्राणों में उत्सर्ग कामना जीवन का शाश्वत व्रत लेकर,साधक हंस कण कण गलता है।।2।। पतझड़ के झंझावातों में, जग के घातों प्रतिघातों में सुरभि लुटाता सुमन सिंहरता,निर्जनता में भी खिलता है।।3।। सफल विफल और आस निराशा, इसकी और कहां जिज्ञासा बीहड़ में भी राह बनाता, राही मचल मचल चलता है।।4।।
अद्भुत
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